जा रहा है साल पुराना ,नया साल है आ रहा
कुछ आशाएं छूटी अधूरी,कुछ उमंगों के संग आ रहा
क्या खोया क्या पाया इस जाते हुए वर्ष में
कर लेखा जोखा मन को अपने बहला और समझा रहा
नववर्ष के आगमन का किया था हर्षोउल्लास संग स्वागत
अपनों संग बांटी थी ख़ुशी,अनेक योजनाओं से किया सबको अवगत
मिलना था मुझे प्रमोशन इस वर्ष तभी तो इसका बेसब्री से इंतज़ार था
पर कोरोना महामारी से हुए लॉकडाउन से प्रमोशन का सोचना भी बेकार था
कभी छुट्टियों के लिए थे तरसते घरों पर हो गए हम कैद
रिश्तों को समझा और करीब से विडिओ कॉल पर होती थी चैट
साहित्य प्रेम जो खो गया था कहीं आज उमड़ उमड़ कर बाहर आने लगा
बचपन से लिखते थे कवितायेँ ,आज उनको सम्मान मिलने है लगा
जा रहे वर्ष में हमने अपने इक प्रिय को भी खोया
जो रहता था सदा संग हमारे यादों का वह अब हिस्सा हो गया
अध्यात्म से फिर जुड़ गया मन ,जब जुदा वह अपना हुआ
अब लगने लगा क्या सोचे भविष्य की ,बस नेक कर्म सदा करता जा
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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