सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मधु शंखधर स्वतंत्र

*स्वतंत्र की मधुमय कुण्डलिया*
             *आह्लादित*
-----------------------------------
आह्लादित हो मन अगर , छाए नई उमंग ।
हो करके स्वच्छंद तब , होती सहज पतंग ।
होती सहज पतंग , गगन को छू कर आए ।
जीवन का आनंद , सुखद मन ही पा पाए ।
कह स्वतंत्र यह बात , भावना हो मर्यादित ।
जीवन का आधार , ह्रदय अति हो आह्लादित ।।

आह्लादित जब भी हुए , देवों के भी देव ।
दे देते वरदान तब , भोलेनाथ स्वमेव ।।
भोलेनाथ स्वमेव  , बोल दे जो मन बमबम।
डमरू का हो नाद , जगत में शोभित डमडम ।
कह स्वतंत्र यह बात , भावना हो संवादित ।
सत्य शिवम् का जाप , करे मन को आह्लादित ।।

आह्लादित जीवन डगर ,  लक्ष्य निहित विश्वास ।
भाव भरे उपकार वो , होता सकल विकास ।।
होता सकल विकास ,  लक्ष्य तक यह पहुँचाए ।
बाँटे सबमें हर्ष , स्वयं भी वह हर्षाए ।
कह स्वतंत्र यह बात , रहे यदि मन  आच्छादित ।
होगी कड़वी  बात ,  कहाँ तब मन आह्लादित ।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879