/ साल नया आने वाला /
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साल नया आने वाला है
मंगल दीप जले
मन भर,पुण्य प्रभात पले।
दुख दरिद्रता मिटे धरा से
मुक्त रहे हर व्यक्ति जरा से
सब घटता भले भले
मन भर पुण्य प्रभात पले।
हरा भरा वसुधा का आँचल
मन भर बरसे काले बादल
प्रकृति पगपग निज पाथ चले
मन भर पुण्य प्रभात पले ।
मुसकाते सपनों के आगे
सोने वाले भी सब जागे
अब नही अनुनय विनय टले
मन भर पुण्य प्रभात पले।
जो मांगो मिलने वाला है
आज प्रतिक्षित मधु प्याला है
दिनकर, जाकर क्षितिज ढले
मन भर पुण्य प्रभात पले ।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.
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