प्रस्तुत है सिंहावलोकन घनाक्षरी छंद...
आइए मिलाएं हाथ, हमेशा रहेंगे साथ,
मन में कोई बात हो, खुल के बताइए।
खुल के बताइए तो, उर से हटेगा बोझ,
अधरों पे फिर मृदु, मुसकान लाइए।
मुसकान लाइए तो, चेहरे पे खिले नूर,
घर- आँगन महके, सुमन लगाइए।
सुमन लगाइए तो, पावन हृदय बने,
उर के समीप आप, फिर चले आइए।
अवनीश त्रिवेदी 'अभय'©
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