मुक्तक- आँचल!
माँआँचल सुख लोप हुआ अब,
माता जी यम गेह गई!
हाथ बनाई रोटी चोखा,
अब अपने से दूर गई!
अब तो सिर्फ उदर है भरना,
कौन उदर सहलाये अब!
केवल मैम कमाई भूखी,
अब तो वह सरदार भई!!
अमरनाथ सोनी" अमर "
9302340662
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