एक सामयिक रचना कवि की देखें व आनन्द लें.... घूप देखाय धरा न कतौअबु बादर बूँदी हियाँ दिखलैहै।। भोरू औ साँझु परे कुहिरा चौपाया गतीनु बखानि न जैहैं।। पूस दिना सखि टूस कहैं रजनी सजनी कतनी बढि़ जैहैं।। काजु सबै कै जुगाढ़ चलैमतिया सखि चंचल काव गनैहै।।1।। सेंवारि फुलानि सखी सरसोंहरियाली धरा कै बखानि न जैहैं।। गफ्फानि देखाय खडी़ अरहर मानौ राह ऊ रोंकि के जाइऊ न देइहैं।। बथुआ औ चना खोंटहारि खडी़ कस लाइ घरा वै साग रचैहैं।। तोरि के गन्ना पेराइ के केर्रा मेहमानौ चंचल लाय पियैहैं।।2।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।। 228001।। मोबाइल...8382821606,8853521398,9125519009।।
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।
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