/ भाव से भगवान /
----------------------------
विव्हल होकर गीत जब गाया गया
भाव से , भगवान को पाया गया ।
मूढ़ पहचाना नही तू ईश को
नासमझ,सर से तेरे साया गया।
सांस टूटी पथ सभी अवरूद्व से
देखते सब संकलित माया गया ।
जो हृदय को छू सके वे शब्द थे
कंठ भर भर कर जिन्हें गाया गया।
गलतियां करते रहे वे नित्य ही
जाने क्यों हमको ही समझाया गया।
पंथ प्रचलित जो रहे वे भूलकर
नित नया ही पाथ अपनाया गया।
जिसपे इतराता रहा है उम्र भर
आज माटी मे वही काया गया ।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें