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डॉ0 हरि नाथ मिश्र

विवेकानंद(दोहे)
चिंतक-साधक थे बड़े,संत विवेकानंद।
खोल दिए निज तेज से,चक्षु रहे जो बंद।।

आडम्बर-पाखंड का,खंडन किए विवेक।
सती-प्रथा को रोक कर,किए काम हैं नेक।।

जा अमरीका देश में,व्याख्यायित कर धर्म।
मानवता की सीख दे,श्रेष्ठ किया है कर्म।।

भारत के आदर्श का,व्यापक किया प्रसार।
अपनी संस्कृति का किया,यहाँ-वहाँ विस्तार।।

अल्प आयु में रुग्ण हो, देव-लोक प्रस्थान।
करके युवा नरेन्द्र ने,पाया अति सम्मान।।

युवा-दिवस के रूप में,इनकी कर जयकार।
भारत अपना देश यह,सदा करे सत्कार।।

युवा विवेकानंद का,सब करते सम्मान।
इनकी उत्तम सोच ही,है भारत की शान।।
        © डॉ0 हरि नाथ मिश्र
           9919446372

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