~ 🌹गीत 🌹~
*हिंदी रचती नई कहानी है*
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तुम दीपक हो, मैं हूँ बाती,
तुम सूरज, मैं भोर-प्रभाती |
तुम सागर, मैं नदिया प्यारी,
तुम अम्बर , मैं धरा तुम्हारी |
तुम पत्थर हो, मैं हूँ पानी,
तुम राजा हो, मैं हूँ रानी |
शब्द-अर्थ की प्रीति- सुहानी,
हिंदी रचती नई कहानी ||
वर्णों ने लघु गुरु स्वर देकर,
साथ सरस यति-गति का लेकर |
कहीं रुकावट बने न बाधा,
पहले अपनी लय को साधा ||
फिर स्वर से मिलवाए व्यंजन,
जैसे आँखों में हो अंजन |
भेद मिले जब व्यंजन ध्वनि से,
शब्द बनाते तब जग-ज्ञानी ||
शब्द- अर्थ की प्रीति- सुहानी ,
हिंदी रचती नई कहानी ||
शब्दों के पर्याय कई हैं,
अर्थों के अध्याय कई हैं |
शब्द विलोमों की है नगरी,
अर्थ-भरी शब्दों की गगरी ||
कहीं कहावत, मुहावरे हैं,
वाक्यांशों के शब्द भरे हैं |
रूढ़ी यौगिक योगरूढ़ बन,
गद्य-पद्य दोनों के सानी |
शब्द-अर्थ की प्रीति-सुहानी,
हिंदी रचती नई कहानी ||
माथ सजाए माता हिंदी
दो रूपों वाली है बिंदी|
सबसे अनुपम न्यारी हिंदी,
भारत की है प्यारी हिंदी ||
जीवन संस्कृति संस्कारों का,
है पलना भाव-विचारों का |
सहज सरल मनभावन हिंदी,
माँ की ममता 'सरस'-बखानी ||
शब्द-अर्थ की प्रीति-सुहानी,
हिंदी रचती नई कहानी ||
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~©दिलीप कुमार पाठक 'सरस'
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