मकर संक्रांति।।लोहडी़।। की पावनमंच को हार्दिक बधाई व सस्नेह सादर प्रणाम, मकर संक्रांति पर आधारित चार सवैया छंद अवधी भाषा में देखें..... सूर्य भये उत्तरायनु अब तिऊ तिऊहार बहार रहेगी।। शादी वियाहु कै काजु शुरू अब मंगल बाद्य अवाजु बहेगी।। यही मँहय आवा तिऊहारू चुनाव औ ओमीक्रान बयारू रहेगी।। जाप हवन अरू यग्य विशेषु पंडित चंंचल धारु बहेगी।।1।। आई लहरु पहिली जौ हिन्द तौ सांसत मा कछु जान परा।। मुल धीरु पराक्रमी हिन्द जना वैग्यानिक खोजिदे औषधि रा।। लगै वैक्सीन जुटी सरकारू अरू दूजी लहरु परभाव टरा।। हैं हिन्द के वासी सुसाहसी वीर तीजिऊ चंचल जाये खरा।।2।। मतदान परे सरकारू बने अरु काजु सुकाजु सबै चलिहैं।। तिऊ तिऊहारू कै होड़ चले खेतिऊ खलिहान सबै गहिहैं।। गंगा नहावनु तीर्थ चले पाप नसावन लहरु उबहिहैं ।। भाखत चंचल धीरमती हौं साहसु खेल सदा करिहैं।।3।। यहु देश गुलामी जौ झेलि लिया अरू संकट ते घबराते नहीं है।। आवा जोई जग जायेगा ही मुल बहु सोचु विचारू हौं करते नही हैं।।। साहसु धीर धरा करते औ लडा़ करते हौं भयाते नहीं हैं।। होगा वही जो लिखा विधि ने हौं चंचल पाँव हटाते नहीं हैं।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल। ओमनगर, सुलतानपुर, उ.प्र.।228001।।
कर्मफल... विषय पर रचित कवि के दो सवैया छंद अवधी हिन्दी भाषा में देखें.... समृद्धमंच को मेरा सादर प्रणाम.... योजनानु रचौ बहुत हिय नीकु मुला ह्वैहँय विधिना जो लिखी।। सोचु विचारू करौ कतनौ मुला मिलिहँय वही जेकि भागि लिखी।। चाहत न कोऊ होय गरीबु मुला मिलता जो नसीबु लिखी।। कहते कवि चंचल अर्थनहीं श्रमहीन बनो नहि भाव लिखी।।1।। हाँथ औ पाँव बढ़ाते चलो फल कै इच्छानु करौ न कबौ।। लीकनु पाँय बढ़ाये रहौ करतारु लखैं तुहँय ध्यानु जबौ।। ह्वैहँय सुनीकु बढौ़ पथ नीकु तौ खेवनहारू जौ देखै कबौ।। मिलिहँय निहचय हिय धारि चलौ मुल भाव जू चंचल राखु तबौ।।2।। करतार निहारि रहे तव कर्म सुकर्मनु कै नित भाव करौ।। असहाय फिरैं जग मा जब जीव तौ सहाय उपाय तुरन्त करौ।। मानव सेवा हु धर्म बडौ़ मुल औरनु पंथनु भाव वरौ।। कहते कवि चंचल निर्बल जीव तौ आशिषु आत्मा नु देय खरौ।।3।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल। ओमनगर, सुलतानपुर, उ.प्र.।। भारत।।228001।। मोबाइल सम्पर्क....8853521398,9125519009।।
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