*प्रभु प्रेम और आस्था*
सारी दुनिया छोड़ जाए और कोई न तेरे साथ है
थाम लोगे हाथ कान्हा मन में अमिट विश्वास है।
अपने भावों की अभिव्यक्ति कान्हातुझसे ही करूँ
अपनी खुशी अपनी व्यथा व्यक्त तुझसे ही करूँ।
जब जब डराती है मुझे जग की कुछ परेशानियाँ
आ जाते कोई रूप धरके कर देते हो मेहरबानियाँ।
जन्म व्यर्थ गँवा दियालोगों मे अपनत्व ढूँढते
मतलब से रिश्ते थे सभी जाते गए मुझे छोड़ के ।
ले ली शरण जब से तेरी दुनिया ही सारी मिल गई
तेरे पावन चरणों में मेरी सारी दुनिया सिमट गई।
जब तुझसे मिलने का मन हो आँखें बंद कर लेती हूँ
तेरी मनोहर छवि को अपने ह्रदय में रख लेती हूँ।
अपने मन के भाव से पूजन में नित्य तेरा करती हूँ
चुन-चुन के फूल लाती हूँ चरणों में अर्पण करती हूँ।
माखन मिश्री बना अपने हाथों से तुम्हे खिलाती हूँ
देख कर तेरा रूप मोहना मंत्रमुग्ध मैं हो जाती हूँ।
मन के भावों से तेरी मधुर बांसुरी भी सुनती हूँ
भूल कर मैं खुद को कान्हा नाचने भी लगती हूँ।
है यही अरदास प्रभु तेरे भक्ति रस में डूब जाऊँ
अंत समय जब आए मेरा चरण में तेरे जगह पाऊँ।
🙏🌹 सुप्रभात 🌹🙏
ऊषा जैन कोलकाता
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