सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ऊषा जैन कोलकाता

*प्रभु प्रेम और आस्था*

सारी दुनिया छोड़ जाए और कोई न तेरे  साथ है
थाम लोगे हाथ  कान्हा मन में अमिट विश्वास है। 

अपने भावों की अभिव्यक्ति कान्हातुझसे ही करूँ 
अपनी खुशी अपनी व्यथा व्यक्त तुझसे ही करूँ। 

जब जब डराती है मुझे जग की  कुछ परेशानियाँ
आ जाते कोई रूप धरके कर देते हो मेहरबानियाँ। 

जन्म  व्यर्थ गँवा दियालोगों  मे अपनत्व  ढूँढते    
मतलब से रिश्ते थे सभी जाते गए मुझे छोड़ के । 

ले ली शरण जब से तेरी दुनिया ही सारी मिल गई
तेरे पावन चरणों में मेरी सारी दुनिया सिमट गई। 

जब तुझसे मिलने का मन हो आँखें बंद कर लेती हूँ
तेरी मनोहर छवि को अपने ह्रदय में रख लेती हूँ। 
 
अपने मन के भाव से पूजन में नित्य तेरा करती हूँ
चुन-चुन के फूल लाती हूँ चरणों में अर्पण करती हूँ। 

माखन मिश्री बना अपने हाथों से तुम्हे खिलाती हूँ
देख कर तेरा रूप  मोहना  मंत्रमुग्ध मैं हो जाती हूँ। 

 मन के भावों से तेरी मधुर बांसुरी भी सुनती हूँ
भूल कर मैं खुद को कान्हा नाचने भी लगती हूँ। 

है यही अरदास प्रभु तेरे  भक्ति रस में डूब जाऊँ 
अंत समय जब आए मेरा चरण में तेरे जगह पाऊँ।

🙏🌹 सुप्रभात 🌹🙏
 
ऊषा जैन   कोलकाता

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879