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अमरनाथ सोनी अमर

हाइकु- वारिस! 

पिता का धन,
वारिस का नजर, 
घूमता सदा! 

वारिस- चिंता, 
सताये पल पिता, 
सहता दुख! 

पेट को काटे, 
कंजूस की गठरी, 
ढोये हमेशा! 

धन लालच, 
सताये रात दिन, 
सोये क्षणिक! 

इकठ्ठा करे, 
जायदाद, जमीन, 
वारिस लिये! 

अथाह किया, 
एकत्र जायदाद, 
सौंपा वारिस! 

इज्जत खत्म, 
गुनतें नही पिता, 
हुये मालिक! 

बने हैं गुण्डा, 
मनमानी है राज, 
नहीं सलाह! 

पीतें शराब, 
करें मांस भक्षण, 
गृहस्थी नष्ट! 

गाली - गलौज, 
नींद किये हराम, 
मान माटी में!! 

चले न मेरा, 
गुड किया गोबर, 
बने राक्षस! 

वारिस मोंह! 
किया स्वप्न अधूरा, 
इन चक्कर! 


हे दीनानाथ, 
देखो दुख हमारा, 
चाहिये मुक्ति! 

हे दयावान, 
कर दया निरीह, 
करिये जल्दी! 

वारिस दुख, 
सहन क्षमता खत्म, 
प्राण है फसा!! 


अमरनाथ सोनी" अमर "
9302340662

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