सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रामनाथ साहू ननकी

प्रीत पदावली  ----
13/01/2022


               ------  सिंहनाद -----

तुम सबकी आवाज बनो
सिंहनाद कर सबल सदृढ़ स्वर ,
मानवता की लाज बनो ।

गहन विषमता व्याधि बढ़ी है ,
शुभ संपूर्ण इलाज बनो ।
चिंतनीय सारे मसलों के ,
हल कर्ता दिलराज बनो ।।

हो यात्रा अब नये सफर की ,
बाहुबली सरताज बनो ।
धोखेबाजों गद्दारों के
लिए सुधारक बाज बनो ।।

जो अनीति को शह देता है ,
उनके मत हमराज बनो ।
जो जन आध्यात्म नहीं जाने
उनके भी अंदाज बनो ।।

विश्व पटल पर खुशियाँ छाये ,
न्याय प्रेम का शुभ साज बनो ।
कल के ऊपर काम न टालो ,
श्रेष्ठ बनो अब आज बनो ।।



              ---- रामनाथ साहू " ननकी "
                      मुरलीडीह ( छ. ग. )

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

टिप्पणियाँ

  1. बेनामीफ़रवरी 03, 2022

    Casino Site Review – Lucky Club Live
    Lucky Club online casino review. Find out more about all of our promotions, luckyclub.live games, and promotions, plus more information from our  Rating: 5 · ‎Review by LuckyClub

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879