प्रीत पदावली ----
12/01/2022
------ मुखड़े -----
तलाशते सब अपने मुखड़े ।
कई ज्वार भाटे आने से ,
खोते गये चाँद के टुकड़े ।
रहा समय गतिमान हमेशा ,
झोंके आने से सब बिगड़े ।
कोशिश की साक्षी बन जायें ,
औंधे मुँह लगते ये तगड़े ।।
नीची वही मानसिकता के ,
अंक पाश में अब तक जकड़े ।
देखो जिसे यहाँ जानोगे ,
अंदर से हैं उखड़े -उखड़े ।।
अंतर्द्वंद्व सभी के अंदर ,
किसको छोड़ें किसको पकड़े ।
भटके सभी मूल को भूले ,
फिर भी हैं व्यर्थ रहे अकड़े ।।
यही क्रम है यहीं भ्रम भी है ,
बनते जितने उतने उजड़े ।
तू निमित्त ये तेरा दर्शन ,
सुख- दुख जीवन के दो पलड़े ।।
---- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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