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एस के कपूर श्री हंस

।युग पुरूष स्वामी विवेकानंद जी की जयंती।।(12 जनवरी)*
*।।1।।*
अल्प आयु में   ही   दिया था
अमर दर्शन इतिहास।
देश भारत     को  किया   था
सर्व विश्व सुविख्यात।।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस  के
वे सर्वसिद्धअनुयायी।
स्वामी    विवेकानंद  नाम   से
हुए विश्व में विख्यात।।
*।।2।।*
युवा पीढ़ी की सोच  अध्यात्म
का    अदभुत        मेल।
शिकागो    सम्मेलन में   चली
विचारों की अदभुत रेल।।
नवभारत  निर्माण      संकल्प
लिया यौवनकाल  में ही।
नरेंद्र बने स्वामी विवेकानंद था
ये दर्शन काअदभुत खेल।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*



*।।झूठ के पाँव नहीं होते हैं।।*
*।।विधा।।  मुक्तक।।*
1
यही सच कि   सच का कोई
जवाब    नहीं    है।
एक   सच ही   जिसके चेहरे
पर नकाब नहीं   है।।
सच सा  नायाब    कोई  और
नहीं             दूसरा।
इक सच ही  तो  झूठा    और
खराब      नहीं   है।।
2
सच मौन   भी   हो     तो  भी
सुनाई    देता     है।
सात परदों के     पीछे से   भी
दिखाई   देता     है।।
फूस में चिंगारी सा   छुप   कर
आता    है   बाहर।
सच ही      मसले की      सही  
भरपाई    देता   है।।
3
चरित्र के बिना   ज्ञान       एक
झूठ सी     बात   है।
त्याग बिन पूजन     तो     जैसे
दिन में     रात  है।।
सिद्धांतों बिन     राजनीति   तो
विवेक शील नहीं।
मानवता बिन         विज्ञान  तो
गलत   सौगात   है।।
4
सत्य स्पष्ट सरल  नहीं कोई भी
दाँव     होता      है।
जैसे धूप में लगती    शीतल सी
छाँव     होता      है।।
गहन   अंधकार को भी सच का
सूरज है  चीर   देता।
सच सामने नहीं टिकता कि झूठ
का पाँव नहीं होता है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।*
*©. @.   skkapoor*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*

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