*मधुमालती छंद*
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*शारदे*
माँ शारदे द्वारे खड़े।
अज्ञानता में हम पड़े ।।
शुभ ज्ञान वाणी तार दो।
नव ज्योति दीपक सार दो।।
वीणा धरे कर में कमल।
माँ रूपसी सात्विक धवल।।
आसन विराजो खास जब।
निज ज्ञान का हो वास तब।।
अनुपम अलौकिक शक्ति माँ।
वेदों समाहित भक्ति माँ ।।
माँ सार गीता ज्ञान हैं।
माँ शब्दमय वरदान हैं ।।
माँ शीश चरणों में धरूँ।
निशदिन सतत् वंदन करूँ।
मधु मालती यह लिख रही।
माँ ज्ञान दो , मधु हो सही ।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
प्रयागराज
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