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संजय जैन बीना

*सर्दी का मौसम और...*
विधा : कविता

सर्दी मौसम में प्यार मोहब्बत 
की आपस में बातें होती है। 
सर्दी मौसम में मोहब्बत निभाने 
कि कसमे खाई जाती है। 
और चलता है दौर आपस में
मेल मिलाप करने का। 
पर होती है दिलको पीड़ा
सर्दी में बिछड़ ने पर।। 

चारों ओर हरियाली 
कितनी छाई रहती है। 
मंद मंद हवाओं के साथ
हल्की ओस गिरती है। 
जिससे वदन सुकड़ा सा 
और गरम हो जाता है। 
जो दिलकी गहराईयों में
लम्बी आह भर देता है।। 

गर्म हुये वदन पर जब 
ओस की बूंदे गिरती है। 
तो अंदर से एक आवाज 
छन सी आती है। 
जो दिल दिमाग को 
शून्य करके बेचैन कर देती है। 
और सीने की धड़कनों को
और तेज कर देती है।। 

आँखे होंठ और दिल भी
अपनी कहानी कहते है। 
और तन मन सब कुछ 
तड़पकर सुस्त होने लगता है। 
न कुछ खाया पिया जाता है
न ही बिना उनके जिया जाता है। 
दिल में लगी है जो आग 
उससे सिसकियां भर रहा है।
और ये सब कुछ सर्दियों के 
महीने में ही क्यों होता है।। 

जय जिनेंद्र 
संजय जैन "बीना" मुंबई
10/01/2022

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