/ क्या खोया /
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क्या खोया किसकी तलाश है
इस हद तक तू क्यों उदास है।
पूरब की किरणों को देखो
उसके संग अनुपम प्रभास है।
तुम क्या जानो सत्य कहां
आती - जाती सघन सांस है।
झूठ नही चुभता है तुमको
जो चुभता है वही फांस है ।
बात जरा सी क्या बिगड़ी
अंतर मन से अब उदास है।
तुमसे मिलना बातें करना
इस जीवन का महारास है।
अपनों ने जी भर ठुकराया
अपनाओगे यही आस है ।
सुख साधन कल्पनातीत है
यादें केवल आस - पास है।
तुम अपने मन को समझाओ
अंतर मन मे क्यों खटास है।
कितना रोकूं नही रुक रहे
नयन बरसते अनायास हैं ।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.
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