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मधु शंखधर स्वतंत्र

मकर संंक्रांति की बधाई व शुभकामना के साथ यह रचना ----------
मकर संक्रांति धूम मची है
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मकर संक्रान्ति धूम मची है , घर - घर में खुशहाली है ।
पुष्प सुशोभित वन उपवन में , खेतों में हरियाली है ।।

सूर्य हुआ उतरायण अब से , पौष पर्व यह भाता है ।
धर्म ग्रंथ सब महिमा गाते , माघ पूर्व यह आता है ।
उदित सूर्य को नमन करे सब , फैली नभ पर लाली है।
मकर संक्रांति धूम मची है.......।।

स्नान दान का पर्व ये पावन , गंगा सभी नहाते हैं ।
लड्डू तिल के खिचड़ी घी से , छक कर सारे खाते हैं ।
पुण्य कर्म से धर्म जुड़ा है , यह भाव शक्ति शाली है।
मकर संक्रान्ति धूम मची है.....।।

बाल युवा मिल नाचे गाएँ , नई पतंगे लाते हैं ।
लिए लटाई छत पर सारे ,  बाजी खूब लड़ाते हैं ।
मस्ती का माहौल बना है , चाल बनी मतवाली है।
मकर संक्रांति धूम मची है........।।

कृषक अन्नदाता हर्षाए , पर्व ह्रदय अपनाते हैं ।
हँसी खुशी से सबसे मिलते , सुर नव गीत सजाते हैं।
नये रूप में धरा सुसज्जित , हर्षित मधु यह माली है।
मकर संक्रांति धूम मची है .....।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
प्रयागराज
14/01/2022

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