बहुत कठिन है जीवन की राह
जिनको सबको जोड़ना है
वह करते है बरदाश्त
कलियुग का है,समय चल रहा
चुभती बात न बोलिए जनाब।
तिल तिल बीता जिंदगी
अब थोड़ी है शेष
लक्ष्य प्रेरणा के बिना
मानव करे ना काम।
जिनको सबको जोड़ना है
वह करते है बरदाश्त।
श्रम चरित्र ईमान का
होता नही है विकल्प
गुण अवगुण सबमें बसे
डिग्री का है फर्क।
कौन जानता है किसी के
मन में है क्या बात
उन लोगों को क्या कहें
कटु है जिनके बोल।
जिनको सबको जोड़ना है
वह करते है बरदाश्त।
उकसाने से किसी के
भड़के कभी न आप
रहते बहुत सतर्क है
जो होते है चालाक।
कल की बातें जो करे
उसे आलसी जान
किस स्थिति में क्या करें
सदगुरु जी देता है ज्ञान।
जिनको सबको जोड़ना है
वह करते है बरदाश्त।
नूतन लाल साहू
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