कुछ ज्ञान की बात
बेलगाम यदि जीभ तो
हो सकता है अपमान
सही बात को भी कहें
देख व्यक्ति और स्थान।
मत टोको हर बात में
बांटो घर में प्यार
हर इच्छा पूरी नही हो सकता
राखिए मन में संतोष।
सत्कर्मों में रत रहो
मत बैठो खामोश
साधन बढ़ते है नही
प्रकृति कहें समझाय।
कौन भविष्य को जानता है
कठिन है कर्म फल लेख
वर्तमान में जियो निशदिन
आगे पीछे देख के।
इस तन का विश्वास क्या
पानी भरी है देह
जाने कब बह जाए वह
अधिक न करिए नेह।
अपना धर्म निभाइए
करिए सबसे प्रीति
बोले सबसे प्रिय बचन
यही है सुंदर जीवन नीति।
क्या अनुचित है,क्या उचित है
क्या है धर्म,क्या है अधर्म
इसमें उलझे नही अधिक
और सदा करें सत्कर्म।
बेलगाम यदि जीभ तो
हो सकता है अपमान।
नूतन लाल साहू
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