सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव

*युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामीजी को नमन*


धर्म रक्षक देश भक्त एवं एक युवा सन्यासी।
सनातन धर्म संस्कृति प्रचारक भारतवासी।।

12 जनवरी 1863 को जन्में पवित्र धरा पे।
स्वामी विवेकानंद से पहले नरेंद्र नाथ थे वे।।

कायस्थ वंश में जन्में बंगाली कायस्थ ज्ञानी।
कोमल हृदय उदार अध्यात्म के सुंदर ज्ञानी।।

माता हैं भुवनेश्वरी देवी पिता विश्वनाथ दत्त।
जन्में हैं जिनके कोखी से ये नरेंद्र नाथ दत्त।।

वेद वेदांतों के प्रकाण्ड विद्वान रहे हैं स्वामी।
प्रभावशाली आध्यात्मिक विश्वगुरु ये स्वामी।।

रामकृष्ण परमहंस को है अपना गुरु बनाया।
उनके सानिध्य में रहके अमूल्य शिक्षा पाया।।

11सितंबर1893 में विश्व धर्म महासभा हुई।
अमेरिका शिकागो में अध्यात्म पर सभा हुई।।

भारत के सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया।
स्वामीजी ने उत्कृष्ट सम्मोहनीय भाषण दिया।।

मेरे अमेरिकी प्रिय भाई एवं बहनों से शुरुआत।
स्वामी के दिए आदर से पैदा दिल में जज्बात।।

विवेकानंद ने सनातनधर्म पे दिया ऐसा भाषण।
देश के इस युवा सन्यासी का सुनते रहे भाषण।।

उठो जागो स्वयं जागकर औरों को भी जगाओ।
तबतक नहीं रुको जबतक लक्ष्य ना पा जाओ।।

जीवन में कुछ लक्ष्य बनाओ एवं कर्म ईमानदार।
संघर्ष बड़ा यदि होगा तो सफलता भी शानदार।।

युग प्रवर्तक महान विचारक सनातन धर्म स्रोत।
ये हैं एक युवा सन्यासी युवाओं के प्रेरणास्रोत।।

भारतीय धर्म संस्कृति अध्यात्म वेद वेदांत दर्शन।
स्वामीजी पहुँचाए योरोप के हर देश में ये दर्शन।।

स्वामीजी गुरु से जाने सारे जीव में है ईश्वर वास।
मानव रूप में जन्में हैं तो करें यही एक विश्वास।।

जरूरतमंदों की मदद सेवा से ही प्रभु सेवा होती।
हर जीव उसका अंश है ये परमात्मा सेवा होती।।

स्वामीजी मात्र इक वेदांत सनातनधर्मी संत नहीं। वैसा देशभक्त उत्कृष्ट लेखक प्रेरक व्यक्ति नहीं।।

ओजस्वी विचारक प्रखर वक्ता आदर्श युवा नहीं।
भारत गौरव स्वामी जैसा धर्म दर्शन ज्ञाता नहीं।।

स्वामी किए गुरु के विचारों संदेशों को प्रचारित।
130से ज्यादा केंद्र स्थापित कर किए प्रसारित।।

ऐसे युग प्रवर्तक हे! महापुरुष मेरा शत-2 नमन।
हे!युवाओं के प्रेरणास्रोत मेरा है कोटि-2 नमन।। 




रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...