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एस के कपूर श्री हंस

।।राख में भी    चिंगारी   ढूंढ*
*लायो, यही जीत की रीत है।।*
*।।विधा ।।मुक्तक।।*
1
हालात खराब  हों  तो  भी
समझदारी दिखलाइये।
रास्ते में हों पत्थर तो  आप
जोर     से     हटाइये।।
हार हो सामने  तो भी  हार
को  मानना      नहीं।
कोशिश करके राख   में से
चिंगारी   ढूंढ  लाइये।।
2
डूबते को  तिनका  किनारा
बन         जाता     है।
तेरी सोच से  तू खुद अपना
सहारा बन   जाता है।।
कपड़ों में नहीं किरदार   से 
महक   आनी चाहिये।
मत हारो मन तो टूट कर भी
दुबारा बन    जाता है।।
3
कभी नीम तो नमक कभी है
शहद  सी      जिन्दगी।
हर हाल में चलना           कि
रहट    सी     जिन्दगी।।
सीने में आग     मन मस्तिष्क
में हो वास शांति का ।।
बस जीत के लिए       चाहिये
चहक   सी   जिन्दगी।।
4
हर अनुभव से सीखें  तो जीत
है       यह      जिन्दगी।
हर काम में लें   आनन्द   गीत
सी है   ये       जिन्दगी।।
हर त्रुटि भी      हमारी शिक्षक
है      सबसे       बड़ी।
मत बोझ समझो       कि मीत
है     यह       जिन्दगी।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस'*"



*।।1।।*
सूर्य  का    उत्तरायण    में   और
होता मकरराशि में प्रवेश।
खिचड़ी,मक्का, तिल, गुड़  और
मूंगफली का इसमें समावेश।।
पतंगबाजी   के पेचों   का  बहुत
महत्व   मकर संक्रांति में।
बसंत आगमन ऋतु परिवर्तन का 
समाहित  इस में गणवेश।।
*।।2।।*
विभिन्न स्थानों   प्रदेशों में पर्व के
भिन्न    भिन्न   हैं     नाम।
लोहड़ी  बिहू  पोंगल    उत्तरायण
नामकरण   हैं     तमाम।।
खिचड़ी सहभोज व  दान   का है
विशेष महत्व  इस दिन।
शुभकार्य और महूर्त फलित सिद्ध
होते    हैं अब  सुजान।।


विषय/विधा।।अतुकांतिका/हास्यव्यंग।।*
*रचना शीर्षक।।एक और नया साल।।अब भाग कॅरोना भाग।

कल कॅरोना से दूर से मुलाकात हो गई।
बस सामने सामने आंखों
आँखों में बात हो गई।।
कॅरोना बोला आयो गले मिलो, हाथ तो मिलायो।
मैंने कहा कि कहानी सब,
यह समाप्त हो गई।।
कॅरोना बोला बड़े ही, चालाक सयाने लगते हो।
जानते नहीं मेरे पास, जीवाणु ,विषाणु, वाइरस है।।
तुम्हारे पास क्या है।
मैंने भी कह दिया कि,
मेरे पास मास्क,सैनिटाइजर, साबुन, अंगोछा, टोपी और दस्ताने भी हैं।
तुझे भगाने के और बहाने भी हैं।।
हमेशा सतर्क, सावधान रहता हूँ।
स्वस्थ खानपान में ही मेरा
विश्वास है।।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, मेरे लिए बहुत खास है।।
काढ़ा, हर्बल,तुलसी,लौंग, इलायची का, सेवन नित करता हूँ।
प्रकृति से खूब  निकटता रखता हूँ।।
व्यायाम, योग ,मेरे जीवन का हिस्सा हैं।
यह सब रोज़, मेरे जीवन का किस्सा है।।
कॅरोना सुन, बकरे की माँ कब खैर मनायेगी।
एक दिन तेरी शामत ,तो जरूर आयेगी।
हर देश के कॅरोना योद्धा ,तुझे ढूंढ रहे हैं।
एन्टी बॉडी ,प्लाज्मा दान,ऑक्सिजन वाले भी खूब ही तैयार हैं।
तेरे लिए कई कई वैक्सीन बनाने को भी खूब होशियार हैं।।
खत्म  करने हमें सब  तेरे यार वार है।
पी पी ई किट ,फेस शील्ड, हैंड वाश का खूब निर्माण हो गया है।
लॉक डाउन खुल गया ,व्यापार तैयार हो गया है।।
हमारी संस्कृति ,जीवन शैली, खान पान ,की प्रकृति बहुत अलग है।
तुझे अधिक समय यह रास नहीं आयेगी।।
तेरी दाल ज्यादा दिन गल नहीं पायेगी।
तेरे अनुकूल वातावरण नही है यहाँ।।
तेरा ठिकाना है किसी और जहाँ।
बोरिया बिस्तर बांध और रुखसत हो जा।।
अब बन चुकी और बच्चों का भी ट्रायल रन चल रहा है।
इकीसवीं सदी के बाइसवें साल में 
जान ले तेरा छल अब टल रहा है।
*अब तो कॅरोना जा जा जा।*
*अब कॅरोना तू  जा जा जा।।*

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
मोब।।।           9897071046
                      8218685464

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