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योगिता चौरसिया प्रेमा

प्रेमा के प्रेमिल सृजन __
12/01/2022-

विधा-दोहा

*सृजन शब्द- जुदाई*

हुई जुदाई खो दिये, नहीं रही अब आस ।
अंतस तम अब छा गया, बिछड़ गया प्रिय खास ।।1!!

विरह वेदना खूब है, कलम उठाते देख ।
धर-धर आँसू बह रहे, करते हम उल्लेख ।।2!!

आज जुदाई सह रहे , कभी मिलेंगे मीत ।
बाजेंगी शहनाइयां , गूजेंगे संगीत ।।3!!

रोती जाती बेटियाँ , नैहर सूना छोड़ ।
पिता जुदाई सह रहा , माँ ममता ले जोड़ ।।4!!

प्रेमी मन व्याकुल व्यथित , सहे विरह के ताप ।
प्रेमा मनका फेरती , करती माधव जाप ।।5!!

सहे जुदाई जिंदगी, वीर वधू जो नित्य ।
सरहद जाते जब लड़े, सैनिक वह आदित्य ।।6!!


-----योगिता चौरसिया 'प्रेमा'
-----मंडला म.प्र.

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