*दुनियाँ को समझो*
विधा: कविता
मेरा जीने का अंदाज निराला है
इसलिए ज्यादा मेरे दोस्त नहीं।
पर जो भी है मेरे दिलके करीब
उनका मैं दिलसे आभारी हूँ।
सीधी बातें मैं हर पल करता
जो दिलको छूती और चुभती है।
जिसके कारण लोग मुझे
कम ही पसंद करते है।।
जमाने की खा कर ठोकरे
यहाँ तक तो आ पहुंचा।
कर्म भले ही अच्छे किये
परंतु फल कड़वा ही मिला।
कभी अपनो ने तो कभी
परायों ने बहुत गम दिये।
कहानी किस्मत की मेरी
पता नहीं किसने है लिखा।।
बहुत सोचा और समझा
इस जमाने के बारे में।
कदर करता था समय का
तभी तो समय ने साथ दे दिया।
और जो कुछ लिखा पढ़ा था
वही आज काम आ गया।
इसलिए संजय कहता है की
पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दो...।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
13/01/2022
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