पुस के महीना
पुस के महीना
दिन भर चलय
जुड़ जुड़ हवा
दिन हे नानकुन
नदा गे हे रौनिया।
पानी ह गिरत हे
जुड़ सरदी, जर बुखार म
हफरत हे दुनिया
अब इही ला कहिथे कोरोणा।
गोरसी अंगेठा
तापे के अब्बड हे मजा
घुम मत जादा
नइ त पाबे सजा।
गरम गरम चहा
बड़ लागय नीक
चिंगुर जाथे हाथ गोड
हलाले थोरिक।
गांव गंवई,बस्ती सहर
जग म परे हे
बिपत अति भारी
दिन भर चलय
जुड़ जुड़ हवा।
चारो मुड़ा धुप कुहरा छागे
परकीरति रानी ह जड़ागे हे
खोंधरा में चिरई हे कलेचुप
कांपय बेंदरा नरियावय हुप।
जुड़ ला भगाही भईया
सुरुज नारायण,जभ्भे जागही
पुस के महीना
दिन भर चलय
जुड़ जुड़ हवा।
नूतन लाल साहू
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