मंच को नमन
शोभित हिंदी
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देव पूजन थाल की तरह
जग में सुशोभित है हिंदी।
केसरिया चंदन की तरह
ललाट पर शोभित है हिंदी।
पावन गंगा जल की तरह
हृदय को शीतल करे।
महकते पुष्प की तरह
संसार को सुगंधित करें।
स्वर्ण कलश की तरह
मन आकर्षित है हिन्दी।
देव पूजन थाल की तरह
जग में सुशोभित है हिंदी।
मीठे लड्डू की तरह
वाणी में रस घोलती है।
वेद पुराणों की तरह
सच मधुर बोलती है।
धूप नैवेद्य की तरह
जग में सुगंधित है हिंदी।
देव पूजन थाल की तरह
जग में सुशोभित है हिंदी।
शुभ विजय शंख की तरह
नभ थल में घोषित है।
सूर्य चंद्र दीपक की तरह
जगत में प्रकाशित है हिंदी।
देव पूजन थाल की तरह
जग में सुशोभित है हिंदी।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
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