मन की गांठे खोलो
हमारी अवनति विपन्नता और
असफलताओं का मूल कारण
हम पुरानी और घिसी पिटी
परंपराओं और रूढ़ियों से घिरे है
इसीलिए हम,चल नही रहे है
मनमाफिक आगे बढ़ नही रहे है
आप किसका इंतजार कर रहे है
अपनी मन की गांठे खोलो।
आगे बढ़ने के लिए कमर कस लो
आगे बढ़ने का संकल्प नही लेंगे
तब तक हम पिछड़े रहेंगे
और असफल भी होंगे
रूढ़ीवादी नही बने रहना चाहिए
हमेशा नया सोचना चाहिए
इसीलिए तो कहता फिरता हूं
अपनी मन की गांठे खोलो।
स्वयं का मूल्य कभी भी
कम नही आंकना चाहिए
कैसी भी परिस्थिति हो
कैसी भी मुसीबत पड़े
कैसी भी परेशानियां हो या
अभाव क्यों न हो,जीवन में
कभी भी निरुत्साहित न हो।
जो व्यक्ति अवसर गंवा देता है
वह बाद में पछताता है
ठोस और सकारात्मक निर्णय लें
आज ही सत्य है
आज ही शाश्वत है
अपनी मन की गांठे खोलो।
नूतन लाल साहू
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