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भास्कर सिंह माणिक कोंच

जय हिन्द वन्देमातरम
दिनांक - 12-01-2022

विषय - स्वामी विवेकानंद


    ऐसे गीत सुनाए हम
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अपनी सभ्यता संस्कृति की
रीत नीत अपनाए हम।
अपनी कौशल बुद्धि ज्ञान से
जग को मीत बनाए हम।
नमन किया सारी दुनियाॅऺ ने 
श्री परमहंस के शिष्य को।
बने विवेकानंद जवानी
ऐसे गीत सुनाए हम।

था युवाओं का प्रेरणा स्रोत
भारत का लाल अनोखा।
अल्प आयु में ही रच डाला
आलोकित ग्रंथ सलोना।
शब्द शब्द में देश प्रेम था
सच्चाई बतलाए हम।
बने विवेकानंद जवानी
ऐसे गीत सुनाए हम।

चंदा सोम धरा से धैर्य
सूरज से तेज लिया था।
कदम बढ़ाकर हटा नहीं फिर
कर्तव्य पूर्ण किया था। 
शत्रु के सिर झुकाए पल में
वही कथा दुहराए हम।
बने विवेकानंद जवानी 
ऐसे गीत सुनाएं हम।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
                भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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