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ऊषा जैन कोलकाता

🙏🙏🌹🌹🙏🙏

बंसी की धुन तेरी सुनने को
गोपियाँ घूम रही है बौराई। 
राधा भी सुध बुध बिसराये
ढूँढ रही है तुझको कन्हाई। 

ढूँढ रही गोकुल की गलियाँ
बिलख रही है यशोदा माई। 
नंदबाबा भी गुमसुम से बैठे
अंक से किसे लगाएँ कन्हाई। 

इतना मत रूठो तुम कान्हा
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई। 
प्रीत बढ़ाकर तोड़ गए तुम
कैसी लीला तुमने दिखलाई। 

    ऊषा जैन कोलकाता

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