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आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल

भारत रत्न द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि को स्मरण कराती कवि की रचना देखें....                           हिन्द देश के चंचल तारे,                  मात पिता के राजदुलारे,                 आँखों के थे अतिशय प्यारे,             जय जवान आदर्श तिहारे,               जय किसान उद्बोधन वाले।                     जीवन सादा सदा तिहारे,                ऊँच विचार वाले न्यारे।                   जहाँ कहाँ कस चले गये।।1।।           न कुछ कहना न ही सुनना,            राह निहारें अपलक नयना।             शान्ति दूत अस सुन्दर वयना,          आदर्शों पै नित नित बढ़ना।।           सिखा गये मिथ्या न बकना ।।           वादा करके जाने वाले,               छोटे कद के चंचल न्यारे,                  कहाँ जहाँ जस चले गये।।2।।          आये न क्यों जाने वाले,                   भरतवंश अस राह निहारे।             न  कोई पाती न ही संदेश,                  आये न कर काज विशेष।                रह गयीं बातें हिय अवशेष,         सुनी न तुम्हरी जो लवलेश।।           तड़पा करके जाने वाले,                 आश बँधा के जाने वाले।                   पथिक नयन निरखैं निन्मेष,             न कोई पाती न  ही संदेश।।              धरि धीरज चंचल मतवाले,              जहाँ कहाँ कस चले गये।। 3।।         आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल। ओमनगर, सुलतानपुर, चंचल।।228001।।।      .           सम्पर्क ...8853521398,9125519009।।

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