हिन्दी हमारी शान है
माँ और मेरी मातृभूमि,
मेरे जीवन की परिभाषा है।
हिन्दी है मेरी शान सदा,
मृदुता मण्डित यह भाषा है।
लोगों के दिलों में प्रेम भाव,
जो सदा जगाती है रहती।
निज मधुर भाव प्रवहण द्वारा,
मधुरस संयुत् कर देती है।।
राष्ट्रीय चेतना जागरण में,
हिन्दी का बहु योग रहा।
चारित्रिक मूल्यों का विकास,
इसके ही अनुयोग रहा।
हिन्दी है आन-मान सबकी,
जीवन की पहचान भी है।
मास सितम्बर तिथि चौदह को,
राष्ट्रीय दिवस मने सदा।।
विश्व जनों को मानवत्व पाठ,
जिस भाषा ने है सिखलाई।
वसुधैव कुटुम्बकम का मूलमंत्र,
जनमानस को है अति भायी।
साहित्य साधना हिन्दी की,
अगणित कवियों की रही कर्म।
राष्ट्र-प्रेम बन्धुत्व भाव भर,
जन चेतना सबने है फैलाई।।
मध्यकाल हो या आधुनिक काल,
हर काल में हिन्दी मुखरित थी।
हिन्दी के रचनाकारों की,
मर्यादा कभी न कुछ कम थी।
स्वातंत्र्य काल में राष्ट्र-प्रेम को,
जिस भाषा ने ज्योतिर्मान किया।
उस देव लिपि हिन्दी को सबने,
मातृ भाषा रूप में अपनाई।।
उन्नीस सौ पचहत्तर वर्ष का,
जो रहा जनवरी मास।
इसी मास की दसवीं तिथि,
हुई बहुत ही सबको खास।
शहर नागपुर हुआ प्रतिष्ठित,
हिन्दी के विश्व सम्मेलन से।
हिन्दी के गौरव वर्द्धन से,
आज दिवस है बहुत ये खास।।
दो हजार छः ईस्वी सन थी,
जब प्रधानमंत्री मनमोहन थे।
अपने सुन्दर अभिकथनों से,
विश्व दिवस जो सृजित किये।
विश्व मंच पर हिन्दी भाषा,
प्रचारित प्रसारित करना है।
इसी दिवस को सदा सभी,
विश्व हिन्दी दिवस मनायेंगे।।
मौलिक रचनाकार
सुरेश लाल श्रीवास्तव
प्रधानाचार्य
राजकीय हाई स्कूल
जहाँगीरगंज,अम्बेडकरनगर
उत्तर प्रदेश,9415789969
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