सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अवनीश त्रिवेदी अभय

*चादर उजली रहने दो*

घोर तिमिर है  सम्बन्धों  की, चादर उजली रहने दो।
तपते घोर मृगसिरा नभ में, कुछ तो बदली रहने दो।

जीवन  के  कितने  ही  देखो, आयाम अनोखे होते।
रूप  बदलती इस दुनिया में, विश्वासी  धोखे   होते।
लेकिन इक ऐसा जन इसमें, जो सुख-दुःख साथ गुजारे।
हार-जीत  सब  साथ सहे वो, अपना सब  मुझ पर वारे।

चतुर  बनी  तो  खो जाएगी, उसको पगली रहने दो।
घोर तिमिर है  सम्बन्धों  की, चादर उजली रहने दो।

मंजिल अभी नहीं तय कोई, पथ केवल चलना जाने।
तम कितना गहरा या कम है, वो केवल जलना जाने।
कर्तव्यों  की झड़ी लगी है, अधिकारों  का  शोषण है।
सुमनों  का  कोई  मूल्य नहीं, नागफ़नी का पोषण है।

सरगम-साज नहीं है फिर भी, कर में ढफली रहने दो।
घोर  तिमिर  है  सम्बन्धों  की, चादर उजली रहने दो।

आगे  बढ़ने  की  जल्दी  में, पीछे सब कुछ छोड़ रहें।
आभासी  दुनिया  अपनाकर, अपनों से मुँह मोड़ रहें।
केवल लक्ष्य बड़े बनने का, कुछ भी हो पर बन जाएं।
देखा  देखी  के  चक्कर में, बच्चों  के  बचपन  जाएं।

औऱ कहो कितना बदलोगे? कुछ तो असली रहने दो।
घोर  तिमिर  है  सम्बन्धों  की, चादर  उजली रहने दो।

नई व्यवस्था नया चलन है, किसी एक का दोष नहीं है।
हम सब शामिल हैं मर्जी से, उर  का  उदघोष  नहीं  है।
आगे  ऐसा  क्या  पाएंगे? जिसकी  ख़ातिर  भाग   रहें।
अंधी  दौड़  हुई  है  ऐसी,  रात्रि-दिवस बस  जाग   रहें।

गहरी  पार  नहीं  होगी  ये, दरिया  उथली  रहने  दो।
घोर  तिमिर है  सम्बन्धों  की, चादर उजली रहने दो।

अवनीश त्रिवेदी 'अभय

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम