// कहाँ सहारा //
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कहाँ सहारा ढूंढ रहा है
प्रश्न यहाँ यह गूढ़ रहा है।
इन प्रश्नों के मकड़ जाल मे
फंसे लोग आहत होते
जितना जोर लगाते फंसते
अंतिम परिणति रोते
शरणागति दो गज जमीन के
अंत न समझा मूढ़ रहा
प्रश्न यहां यह गूढ़ रहा ।
अभिलाषा उत्तर की लेकर
पथिक चला जो डगर दिखा
और अंततः हार गया वह
मान लिया सब भाग्य लिखा
अबसे पहले नयन बंद थे
भ्रमित भाव आरूढ़ रहा
प्रश्न यहां यह गूढ़ रहा ।
सांसो ने संदेश दे दिया
स्पंदन का पत्र मिला
स्वजन सनेही हाथ लिए
तुलसी हाथों पत्र खिला
शैय्या के कांटे चुभते हैं
मन ही मन अब कूढ़ रहा
प्रश्न यहां यह गूढ़ रहा ।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.
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