प्रीत पदावली ----
16/03/2022
------संभव है -----
आओ बन जायें विशिष्ट ।
दुर्गम दुर्जेय पथों का भी ,
कर पायें सतत विश्लिष्ट ।।
तत्परता से ही होता है ,
ज्ञान संग्रहित जो अदिष्ट ।
अंतरमन के गहरे तह पर ,
वह दिव्यता है उपविष्ट ।।
बाधक जो भी पथ पर आये ,
कर दें उन सबको निकृष्ट ।
हर प्रतिद्वंदी नेह करे अति ,
आतुरता निकट संश्लिष्ट ।।
बन शीर्षस्थ मूल में हो स्थित ,
दिव्य क्षेत्र संभव कर प्रविष्ट ।
भान रहे आनंद प्रभासित ,
थमे सभी दूषित अनिष्ट ।।
आध्यात्मिक घटे जागरण ,
पंथ सभी तजना अरिष्ट ।
हो पूर्णानंद लक्ष्य संभव ,
सदा प्राप्त होगा अभिष्ट ।।
---- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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प्रीत पदावली ----
15/03/2022
------ शुभ यति रहे -----
हर पल यही उपस्थिति रहे ।
लय हो धुन हो संयोजन हो ,
सदा सुनिश्चित शुभ यति रहे ।।
हो अनुकूलता युक्त जीवन ,
नवल सूरज की उदिति रहे ।
जो एक बार लिख दी जाये ,
प्रलय घटे तक अक्षिति रहे ।।
इस विराट सत्ता के साक्षी ,
कुछ चिन्ह स्वमेव अदिति रहे ।
सिद्ध सभी सिद्धांत सदा को ,
पुष्ट विलक्षण ज्यामिति रहे ।।
स्वप्न सुनहरा इस जगती पर ,
कोई कहीं मत अचिति रहे ।
दुराक्रंद मत रहे धरा पर ,
एक मधुबनी नित स्मृति रहे ।।
शब्दों के विन्यासों पर ही ,
अनुमोदित प्रवर समिति रहे ।
ननकी नित्य विचर सके वह ,
अमिट सदैव प्रिय अमिति रहे ।
---- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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प्रीत पदावली ----
14/03/2022
----- था अकिंचन -----
शरणागत आज अकिंचन ।
हो प्रगट रत्न निधि अब सम्मुख ,
सुख समृद्धि का कर सिंचन ।।
विपन्नताओं के अंकुश से ,
दिला दिया है छुटकारा ।
आया जब से अंतर्मन में ,
महाकाल का उजियारा ।।
महा दिव्य अनुभूतियाँ प्रगट,
अकस्मात होने लगते ।
विसंगतियों का दौर गया ,
मंगल ध्वनियाँ हैं सजते ।।
कृपा भाव से हूँ आच्छादित ,
हैं प्रतिपदा पूर्णिमा सम ।
नव सृजन श्रृंखलाएँ आहुत ,
आहट दें सूत्र मनोरम ।।
अभी अरिष्टों की टोली से ,
मेरे संबंध निवारे ।
महा मंदराचल घूर्णित है ,
हृदय जलधि मंथन न्यारे ।।
---- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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