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रामनाथ साहू ननकी

प्रीत पदावली  ----
30/03/2022


               ------ अचल -----

सोचा तो आँसू निकल पड़े ।
बीता जीवन पिछली यादें ,
मुझे सताने को मचल पड़े ।।

वो किरदार अजूबे थे या ,
हम ही कुछ ज्यादा बदल पड़े ।
कई रूप में आसपास ही ,
वो छंद गीत या गजल पड़े ।।

ये पता नहीं कब हम कैसे ,
गिर गिर कर खुद ही सँभल पड़े ।
जाने कितने मिले सफर में ,
कहीं झोपड़ी कुछ महल पड़े ।।

बहुत शुक्र है उस आका का ,
थामा जब भी हम फिसल पड़े ।
नजर उठी तो सबसे पहले ,
मेरी नजरों पर कँवल पड़े ।

मेरी कोशिश सदा रही है ,
उनको न कभी भी खलल पड़े ।
अब तो ये आलम है यारों ,
एक जगह पर हम अचल पड़े ।।



             ---- *रामनाथ साहू* *" ननकी "* 
                      *मुरलीडीह*  *( छ. ग. )* 


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