#दिनांकः १८-०३-२०२२
#वारः शुक्रवार
#विधाः छन्दमुक्त कविता (गीत)
#विषयः 🌈 होली आई रे🌈
#शीर्षकः होली आयी रे
रंग बरसे होली फाल्गुनी बयार आयी रे,
सब खुशियों रंगों की थाल सजायी रे।
शान्ति प्रेम सौहार्द्र आपसी भेंट सजाकर लायी रे ,
अपनापन मानवता का संदेश सुनाने आयी रे।
होली आयी रे ....
जाति पाति और ऊँच नीच का भेद मिटाने आयी रे,
घृणा ,द्वेष छल कपट होलिका आग जलाने आयी रे।
अंधापन कट्टर धार्मिकता सद्भाव जगाने आयी रे,
सद्गुरू या भगवान कहो या गॉड ख़ुदा रंग लायी रे।
होली आयी रे ....
रहें सभी सुख चैन प्रेम से अलख जगाने आयी रे,
होली हूँ हर सभी गमों को मुस्कान अधर पे लायी रे।
रोग शोक मद लालच सबको आग जलाने आयी रे,
दीन धनी का भेद भुलाकर रंगोली बन छायी रे।
होली आयी रे ....
होली में सब भेद भुलाकर गले मिलाने आयी रे,
पीला लाल गुलाबी हरितिम सतरंग बनी मैं आयी रे।
शान्ति वतन जन मन सुरभित प्रेम चमन बनआयी रे,
सद्भावन समरस मनभावन रिपुदलन कराने आयी रे।
होली आयी रे ....
हिंसा दंगा रोष विनाशक मन घाव मिटाने आयी रे ,
त्याग शील गुण कर्म मधुरतम रंग लगाने आयी रे।
शिक्षा दीक्षा सर्वसुलभ युवजन प्रेरक बन छायी रे,
राष्ट्र भक्ति एकत्व भाव मन प्रीति रंग बन आयी रे।।
होली आयी रे ....
दान मान सम्मान सर्वजन समभाव राष्ट्र में लायी रे,
होली है नैतिक सम्पोषक प्रेम शान्ति रंग बरसायी रे।
सबल बने निर्भय नारी सब सम्मान जगाने आयी रे,
रंगों की होली उत्सव पृथ्वी परिवार भाव लायी रे।
होली आयी रे ....
गाएँ झूमें फाग राग हम मधुरिम रास रचाएँ टोली रे,
आओ हम सब खेंलें साथ में बुरा न मानो होली रे।
गले मिलें भेद भुला हम दें बधाईयाँ मीठी बोली में,
लगे लाल गुलाल गाल पे साजन सजनी हमजोली रे।
होली आयी रे ....
गुंजे चहुँदिशि गीत जोगीरा सर र र होली मन रंगरसिया,
झूमें मधुवन साथ गोपियाँ बजाए राधाकृष्ण मुरलिया रे।
भाँग पान मदमस्त प्रेम में झूमें सियराम धाम अवधिया,
फूल वृष्टि काशी रंगीली मंगल विश्वनाथ मनवसिया रे।।
होली आयी रे ....
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली
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