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मन में पलती आस है
एक अटल विश्वास है।
दर्शन दोगे तुम मुझे
जब आए अंतिम श्वास है।।
अपने मन की हर व्यथा
रही अधूरी मेरी कथा।
कान्हा किसको बतलाऊँ
तुमसा न कोई है तथा।।
उलझने मेरे जीवन की
वेदना ये मेरे मन की।
कौन सुने तुम बिन इसे
तड़पना ये रात दिन की।।
लेकर तेरा ही नाम कान्हा
हो सुबह और शाम कान्हा।
धड़कन में तेरा नाम कान्हा
नेहा तुझी से लागा कान्हा।
दे दो चरण में ठौर कान्हा
एक यही है आस कान्हा।।
🙏🌹 सुप्रभात जी 🌹🙏
ऊषा जैन कोलकाता
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