विचारणीय प्रश्न
शरीर नष्ट हो जाता है
पर आत्मा नही मरती
जीवन में आगे बढ़ना
हम सब का लक्ष्य है
मैं खड़ा खड़ा यह सोच रहा था
यदि अभिलासा अधूरा रहा तो
अगले जन्म में,पूरा होगा या नही
हमें क्या पता है
यह विचारणीय प्रश्न है।
आज का इंसान
ओवर टाइम में काम करने का
दे रहा है तर्क
जनता के बीच डबल रोल
कर रहा है अभिनेता।
पुर्व और वर्तमान में
क्या फर्क है
किसको है पता
जब नया जमाना आता है
तो क्या
मानव जीवन का परिभाषा बदल जाता है
यह विचारणीय प्रश्न है।
इस कलियुग में
बहुत से लोगों ने, मां का नही
डिब्बा का दूध पिया है
द्वेष और दानवता
क्या इसी का उपज है
आडंबर ने सत्य को ढंक रहा है
दुष्प्रचार का सब शिकार है
क्या इसी का नाम परिवर्तन है
यह विचारणीय प्रश्न है।
नूतन लाल साहू
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