सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

भास्कर सिंह माणिक

मंच को नमन
साहित्य धरा स्नेहिल

विषय - हिंदू संस्कृति में होली का महत्व

             होली 
-------------------------------
भारतीय संस्कृति की पहचान है होली।
हिंदू  और  हिंदुस्तान की शान है होली।
प्रेम सौहार्द सिखलाए जनमानस को।
माणिक सद्भाव सत्य की ज्ञान है होली।
           

निडर पहलाद का अडिग विश्वास ही जीता।
हर   काल  में  प्रेम  कर्म  विवेक  ही जीता।
स्वच्छ  परंपराओं  की  उद्यान है  होली।
हिंदू  और  हिंदुस्तान की शान है होली।

दुर्भाव   के  मनोरथ  पूर्ण   होते नहीं।
आत्मबल  संयम  कभी  विफल होते नहीं।
तप त्याग सत्य कर्म की ज्ञान है होली।
हिंदू  और  हिंदुस्तान की शान है होली।


होली  ऊंच-नीच  धर्म  का भेद मिटाती।
हमें एकता  अखंडता  का भान कराती।
भारती  के  भाल की  सम्मान है होली।
हिंदू  और  हिंदुस्तान की शान है होली।

              ----------------
मैं घोषणा करता हूं कि यह मुक्तक मौलिक स्वरचित है।
   ‌      भास्कर सिंह माणिक ,कोंच

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879