प्रेमा के प्रेमिल सृजन-_
19/03/ 2022_
विधा-मनहरण घनाक्षरी
सृजन शब्द-होली
रंगो का त्यौहार आया, खुशियाँ अनंत लाया ,
उड़ता गुलाल जहाँ , होली तो मनाइए ।
प्रीत पगे प्यारे रंग, हमजोली खेले संग ,
राग-द्वेष भूले सभी, प्रीत तो लुटाइए ।।
झूमें नाचे बन टोली, फाग गाए गीत होली,
भरते उमंग हिय , रंग बरसाइए ।
प्रकृति ले अंगड़ाई, मदमस्ती मन छाई,
सुंदर पावन पर्व, खुशी तो जताइए ।।
----योगिता चौरसिया 'प्रेमा'
---मंडला म.प्र.
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