*मनहरण घनाक्षरी*
आजा कान्हा होली आई,
खेलेंगे रंग कन्हाई,
राधे जी को साथ ले,
रंग बरसा रहे।।
ग्वाल बाल साथ आए,
गोपियाँ भी दौड़ी आए,
कान्हा जी को मिलकर
रंग सब लगा रहे।।
भरकर पिचकारी,
कान्हा ने राधा को मारी,
राधे रानी दौड़ी पीछे,
श्याम क्यूँ बचा रहे।।
उड़े अबीर गुलाल,
धरा भी हुई है लाल,
केसरिया लाल हुआ,
अंबर रंगा रहे। ।
🙏🌹 *सुप्रभात जी* 🌹🙏
*ऊषा जैन कोलकाता*
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