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छत्र छाजेड़ फक्कड़

सुपरभात सागै आज री ओळयां :-

जीव  घणो  घबरावै 
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छत्र छाजेड़ “फक्कड़”

म्हारो जीव घणो घबरावै
क्यू गया मनै छोड अेकली
कांई काई म्हारै मन में आवै.....
म्हारो जीव घणो घबरावै......

जद सेजां मांय छणकती पायल
थे कहता बैरण आ क्यूं गरळावै
लौ प्रीत री जग रही है सेजां में
क्यूं निगोड़ी आ बीच में आवै
थां बिना कहो पिया
कुण नै ओ सिणगार सुहावै....
म्हारो जीव घणो घबरावै......

तन कामगंधी महकै केसर सो
बैवे बायरो जद मांझळ रातां
कूक कोयली मन हूक जगावै
करूं चेतै जद बै मीठी बातां
दूर पिया भरी जवानी
धर कळाई कुण बिलमावै.....
म्हारो जीव घणो घबरावै.....

छू अधरां स्यूं अधरां नै थे
लिख्या करता छंद तन रा
कळियां बावळी ढळै मस्ती में
उडज्याता पी मकरंद भंवरा
परभात्या पाखी री गूटरगूं
सपना में म्हानै भरमावै......
म्हारो जीव घणो घबरावै...
क्यूं गया मनै छोड अेकली 
कांई कांई म्हारै मन में आवै....
म्हारो जीव घणो घबरावै....

पटळ नै नींवण

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