मधुर मिलन
(स्वर्णमुखी)
जब भी मधुर मिलन होता है।
तन-मन के दुख कट जाते हैं।
रोग दोष सब मिट जाते हैं।
जब भी भाव मृदुल होता है।
सुख-दुख हैं तेरी मुट्ठी में।
परहित वाचन जो करता है।
सुखी बना चलता रहता है।
दुख को चलो झोंक भट्ठी में।
चलो सीखने नित निसर्ग से।
काया-माया को जो त्यागे।
मिथ्या भ्रम में कभी न जागे।
बात करो प्रत्यक्ष स्वर्ग से।
मधुर मिलन को सहज बनाओ।
उर मंदिर में पर्व मनाओ।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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