// थाम लेना //
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जब गिरूं तब थाम लेना
सीख रे मन नाम लेना ।
फंस गया जब जाल जिव्हा
तब कठिन विश्राम लेना ।
मैं थका जीवन सफर से
अब शरण में राम लेना ।
कब से भटकन है तुम्हारी
धैर्य से तुम काम लेना ।
राम छूटे तब समस्या
नाम सुबहो - शाम लेना।
अब सजगता अंक भर ले
क्षणिक मत आराम लेना ।
कम नही ज्यादा भी नही
जो उचित हो दाम लेना ।
खुश रहो आषीश बांटो
ले सको तो प्रणाम लेना ।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.
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