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ऊषा जैन उर्वशी

*मनहरण घनाक्षरी*
*प्रदत्त -शब्द होली*


होली का धमाल देखो, 
रंगों का कमाल देखो, 
नीले पीले लाल हरे, 
रंगों की फुहार हैं।। 

पीकर आज भंग है, 
मचाते हुड़दंग है, 
मस्ती छाई है सबको, 
होली का शुमार है। । 

घोल रहे हैं ठंडाई
गुजिया खुशबू छाई, 
बच्चे बूढ़े एक हुए, 
होली का खुमार है। । 

कान्हा अब तो आजाओ, 
प्रेम रंग लगा जाओ, 
भक्ति रंग में रंग दो, 
करे मन गुहार है। । 

ऊषा जैन उर्वशी

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