*मधुमालती छंद*
*उत्सव*
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उत्सव मनाए रंग का।
शैली सहेजे ढ़ंग का ।।
यह नेह शाश्वत धर्म रुचि।
सद्भावना यह कर्म शुचि।।
खुशियाँ शुचित शुभ आगमन।
रंगो निहित होता चमन।।
उत्सव अनेकों रूप में ।
कुछ छाँव में कुछ धूप में।।
होली दिवाली वर्ष में।
सब प्रीत के उत्कर्ष में।।
अपनो निहित शुभ भावना।
उत्सव धरे शुभ कामना ।।
उत्सव लिए संदेश है ।
यह एकता परिवेश है।।
बस नेह अन्तर्मन धरे।
शुचिता ह्रदय से यह वरे।।
उत्सव मनाए मित्रता ।
भूले मनुज हिय शत्रुता।।
यह धर्म बंधन से परे।
शोभा अलौकिक यह वरे।।
भूलो नहीं सब एकता ।
निज भावना शुचि रूपता।।
मधु हाथ डाले हाथ में ।
उत्सव मनाएँ साथ में ।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
*प्रयागराज*
*19/03/2022*
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