प्रीत पदावली ----
29/03/2022
------ चंचलता -----
अब क्यों निश्छलता नहीं ।
जो तुममें बात लखी मैंने ,
वो कहीं सरलता नहीं ।
सिद्ध वाकचातुर्य सहजता ,
शुचि विशद् विमलता नहीं ।
उन्मादित होकर गीत गढ़े ,
दिल कहीं मचलता नहीं ।।
पावनता सधी सादगी पर ,
जो कभी बदलता नहीं ।
वह सौन्दर्य सहज ही प्राकृत ,
अब कहीं बहलता नहीं ।
थे शुभस्य शीघ्रं अनुमोदक ,
त्वरित कार्य निकलता नहीं ।
कब शैथिल्य पनपता चित पर
क्यों सतत् मचलता नहीं ।।
वह व्यक्तित्व न दूजा आया ,
पूर्व सी चपलता नहीं ।
परिसीमा पर आकुलता है ,
चित्त पर धवलता नहीं ।।
---- *रामनाथ साहू* *" ननकी "*
*मुरलीडीह* *( छ. ग. )*
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