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आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला

उड़त अबीर गुलाल 

उड़त अबीर गुलाल 
लाल हो उड़त अबीर गुलाल
बाग बगीचा फुलवा फुलायल 
आम मंजर गेल चना गदरायल
गेहुऑ के पक  गेल बाल
लाल हो उड़त अबीर गुलाल

गंधराज  हे सुरभि लुटइले
बेला चमेली धूम मचइले
अब अइतय नयका साल
लाल हो उड़त अबीर गुलाल

ढोल मंजीरा गली-गली बजे 
होलवइया सब गीत सुनाबे
गलियन में मचत खूब धमाल
लाल हो उड़त अबीर गुलाल

पुआ पूरी भभरा बजका
बड़ी फूलउड़ी बनत पकौड़ी
सब मिल खात बाल गोपाल
लाल हो उड़त अबीर गुलाल

फगुआ में मद मातल मनवां
कामदेव के खुलल खजानवां
सजनी संग करब खूब धमाल
लाल हो उड़त अबीर गुलाल

✍️आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला (बरबीघा वाले)

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