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संजय जैन बीना

*क्या है ये दुनियाँ*
विधा : कविता

ये दुनियाँ बहुत सुंदर है
मुझे रहना नहीं आया। 
ये जिंदगी बहुत खूबसूरत है
मुझे इसे जीना नहीं आया। 
दिया क्या कुछ प्रकृति ने
इसे भोगने के लिए। 
मगर मेरी मन में तो
कुछ और चल रहा था।
इसलिए छोड़कर राजपाठ
निकल गया मैं वन को।। 

बड़े ही भाग्यशाली होते है
जो इस दुनियाँ में रहते है। 
और खुशी से जीते है
इस खूबसूरत दुनियाँ को।
भले ही समझे न लोग
मुझे इस दुनियाँ में। 
मगर मुझे तो ये दुनियाँ
बहुत ही सुंदर लगती है। 
इसलिए तन्हा रहकर भी
मैं जिंदगी को जीता हूँ।। 

मुझे तो बस चिंता है 
दुनियाँ को बनाने वाले की। 
जिसने कितनी श्रृध्दा और
मेहनत से इसे बनाया था। 
और इसमें पशु-पक्षी के संग
इंसानो को बसाया था। 
पशु-पक्षी तो स्नेह प्यार से
इसमें रहने लगे। 
मगर इंसान ही इंसान को
इसमें समझ न सका।। 

सच कहे तो ये दुनियाँ
बहुत सुंदर है। 
इसमें जीना मरना 
हर किसी को नहीं मिलता। 
जिसे भी इसमें जन्म मिला है
वो बहुत ही भाग्यशाली है। 
बस उसे समयानुसार जीना 
और काम करना आना चाहिए। 
तभी वो इस दुनियाँ को 
मौज मस्ती से जी पायेगा।। 

जय जिनेंद्र 
संजय जैन "बीना" मुंबई
29/03/2022

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